प्रेमचंद की कहानियों में दो पंडितों, पंडित डॉ. तामड़ि और पंडित मोटे राम, की हास्य-व्यंग्य से भरी प्रसंगों का वर्णन किया गया है। इन दोनों पंडितों के बीच उनकी डिद्वत्ता और ज्ञान प्रदर्शन की स्पर्धा का वर्णन किया गया है जो उनके अहंकार और आपसी प्रतिस्पर्धा को उजागर करता है।
कहानी में व्यक्ति को हमेशा सच बोलने का महत्व और सत्य को स्वीकार करने की महत्वता को प्रमुख धारणाओं में उजागर किया गया है। साथ ही, मोटे राम का स्वार्थ और लालच उसे गलत रास्ते पर ले जाते हैं जिससे उसकी प्रसिद्धि पर धकेला डालता है।
कहानी में सच्ची समर्थन और संयम की महत्वपूर्णता को दर्शाने के साथ ही सही व्यवस्था का प्रबंधन करने की भी महत्वता पर ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।