इस कहानी में पंडित डॉ. तामड़ि और पंडित मोटे राम की हास्य-व्यंग्य के साथ प्रडतस्पर्श का वर्णन किया गया है। दोनों पंडित रानी के सामने अपनी डिद्वत्ता और ज्ञान प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं।
कहानी व्यक्ति को हमेशा सच बोलने की महत्वपूर्णता और स्वार्थ और लालच के दुष्प्रयोग का विवरण करती है। सत्य को स्वीकार करने से ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनी रहती है।
कहानी में सहानुभूति और व्यवस्थित व्यवहार के महत्व का संदेश दिया गया है। एक सच्चा समर्थ सच्चाई और ईमानदारी की प्रतीक्षा करता है।