Padmnaabh E-Magazine Oct to Dec 2021

अंक : ४




अंक : ४

वर्ष : १ अक्टू बर-हिसंबर २०२१ साहित्य, समाज, संस्कहि और राष्ट्रीय चेिना की पहिका ृ सुबि की धूप क े साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ !!!

अंक : ४

पद्मनाभ िैमाससक ई-पहिका

अंक : ४ वर्ष : १ अक्टू बर-हिसंबर २०२१ संपाहिका डॉ० प्रहिभा क० पराशर ु सवाषसधकार सुरहिि वैधाहनक चेिावनी रचनाओं में व्यक्त हवचार संपािकीय कायाषलय अंजानपीर चौक, बालािास मठ रोड, साँचीपट्टी हवराट नगर वाडष न ६, िाजीपुर, वैशाली हबिार – ८४४१०३ ईमेल : padmnabhsahityaparishad@gmail.com प्रबंधक प्रवीण पराशर रचनाकरों क अपने िैं। े इनसे सम्पािक का सिमि िोना अहनवायष निीं िै। हकसी भी हववाि की स्स्थहि में न्यायिेि पटना िोगा।

पद्मनाभ िैमाससक ई-पहिका

अनुक्रमाहणका

आलेख 1. हबरिा सम्राट: बालेश्वर राजभर डॉ० मन्नू राय 4. विष मान मिामारी क पररदृश्य में प्रकहि से संबंसधि े ृ डॉ० शुभ्रा मािेश्वरी हिन्िी साहित्य: बिलाव और प्रासंहगकिा समीिा 5. अंिव्यष था शूपषणखा की (खण्डकाव्य) (लेसखका: डॉ० प्रहिभा पराशर) डॉ० हवभा माधवी 7. बाल-मनोहवज्ञान कहविा-संग्रि "चुन्नू-मुन्नू" (लेसखका: डॉ० प्रहिभा पराशर) डॉ० सिीश चन्र भगि 9. किानी का जाि ू (लेसखका: हवमला नागला) िाराचंि खेिावि कहविा 10. भोर भयो आिमी सखलौना िै 11. इंिज़ार र्ष्ठी िेवी 12. कलम काश 13. कोहशश कर गुरु 14. िुम िेव िो िुमसे प्यार िो जाये 15. िो िनी चार ू नववर्ष 16. जला नेि का इक िीपक हिर करवट लेगा पिझर 17. बिु ि ििष िोिा िै पुराने साल की हविाई अंजु िास रमाकांि सोनी सिीश कमार ु डॉ० प्रहिभा पराशर मधु रानी लाल िशष ना सूरज हशवेश कमार हमश्रा ु ज्योहि भाष्कर ‘ज्योहिगष मय’ गणेश नाथ हिवारी ‘हवनायक’ श्याम सुन्िर श्रीवास्िव 'कोमल' गीिा चौबे ‘गूँज’ शोभा रानी हिवारी संगीिा कमारी ु डॉ० सुनीिा ससंि 'सुधा' नेिलाल यािव सन्िोर् पाण्डेय ‘सररि’

अनुक्रमाहणका

18. मािा-हपिा

रोटी 19. शोर उठा िै बेटी 20. िौसलों को जगाओ नए साल में िो हिर बाि बने 21. भोर का सन्िेश किने िो 22. सलाई मौि डॉ० शरि श्रीवास्िव शरि डॉ० हकशोर कमार यािव ु डॉ० बाँका बिािुर अरोड़ा सूयष प्रकाश उपाध्याय डॉ० िीहि गौड़ ‘िीप’ डॉ० रजनी शमाष 'चंिा' आशा झा सखी मीरा ससंि ‘मीरा’ िुगेश मोिन डॉ० शीला वमाष ग़ज़ल 23. ग़ज़ल ग़ज़ल 24. ग़ज़ल ग़ज़ल 25. ग़ज़ल ग़ज़ल 26. ग़ज़ल ग़ज़ल 27. ग़ज़ल ग़ज़ल अरहवन्ि अकला े अहिया नूर डॉ० पूनम ससन्िा श्रेयसी कशव शरण े डॉ० हवजय हमत्तल मुकश पाण्डेय ‘सजगर’ े हवकाश कमार ‘हवधािा’ ु हवज्ञान व्रि सुशीला श्रीवास्िव मजीिबेग मुगल 'शिज़ाि' िोिे 28. िोिे डॉ० शरि नारायण खरे गीि 28. आँ खों पर पट्टी बँधी बृंिावन राय सरल सागर

18. मािा-हपिा

29. गीि

गीि 30. भलाई िी िो माँगी थी मेरा मन कष्ण चिुवेिी ृ रस्श्म लिा हमश्रा डॉ० गोवधष न ससंि सोढा 'जिरीला' डॉ० पवन कमार पाण्डे ु 31. रूकिी निीं कभी सजंिगी पद्माहि शुक्ल जब िक चलेंगी साँसे मेरी रीिा जयहिंि लघुकथा 32. अपना घोंसला ज्वाला सांध्यपुष्प 33. एक ब्रेक साररका भूर्ण कि से बड़ा सोनल ओमर 34. गुफ़्िगू डॉ० िमा सससोहिया 35. गुस्सा क बिले े नरेन्र श्रीवास्िव पोिे का जन्महिन जवािर लाल ससंि 36. कवल हिमाग निीं े सन्िोर् सुपेकर नया सवेरा शबनम भारिीय 37. हपिृ हिवस प्रारब्ध 38. हवश्वास व्यापार 39. अंधा कानून खुिगजष रशीि ग़ौरी डॉ० हवद्या चौधरी सुर्मा ससन्िा संजय रॉय िेमलिा शमाष भोली बेन ससद्धेश्वर संस्मरण 40. भूरा सुनीिा गोंड किानी 43. जय हिंि की सेना आशीर् आनंि आयष ‘इस्छिि’ 45. सिर से िमसफ़र अंकर ससंि ु 47. शौक अभय कमार भारिी ु 49. पररणय डॉ० ऊर्ा अग्रवाल 51. शैहिक भ्रमण डॉ० सुरन्र ित्त सेमल्टी े 53. रामकली मुरलीधर श्रीवास्िव

29. गीि

संपाहिका की कलम से

“पद्मनाभ” अक्टू बर-हिसम्बर का अंक पढ़कर आप भहक्तभाव से िीथष स्थल में स्नान करने का अनुभव प्राि करेंगे। वर्ाष और शरि का संसधकाल बिु ि िी शुभग िै। यि कई मिान पवष -त्योिारों क साथ आया िै। िमारे ऋहर्-मुहन नवराि की महिमा का वणष न करिे निीं थकिे। ऐसे पावन पवष े का आगमन नवरूपों एवं नवशहक्तयों से युक्त माँ िगाष से िोिा िै। िगाष सिशिी का पाठ करिे िु ए ु ु िम माँ भवानी से यि प्राथष ना करिे िैं हक िमारे िन-मन से आन्िररक िामससक वृहियों एवं शिुओं का हवनाश िो और िम सपररवार स्वस्थ एवं सुखी रिें। “िगाष सिशिी” का यि श्लोक िमें अभय ु प्रिान करिा िै- ॐ जयंिी मंगला काली, भरकाली कपासलनी । िगाष िमा हशवा धािी, स्वािा स्वधा नमोऽस्िुिे ।। ु िेवी-आराधना से आरंभ िोकर हवजया िशमी हिसथ िक िर्ोल्लास से हवजय हिवस मनाया जािा िै। हिर िीपावली में मिालक्ष्मी मािा और श्रीगणेश की पूजा भी पूरे भहक्त-भाव से करिे िैं। घी की िीपमासलका सजाकर सुस्वाि ु मोिक अहपष ि कर िल-िलों से इनको िम भोग लगािे िैं। हिर ू गोवधष न पूजा, भैया िज क उपरांि आरंभ िोिा िै हबिार का सबसे पावन सूयोपासना का मिापवष ू े िठ। यि पूरे पहवि भाव से काहयक, वाहचक एवं मानससक रूप से श्रद्धा और भहक्त क साथ काहिष क े शुक्ल चिुथी से निाय-खाय प्रारंभ िोिा िै। पंचमी को खरना, र्ष्ठी हिसथ को पिला अर्घयष अस्िाचलगामी भगवान भास्कर को सभी मौसमी ऋिु अनुकल िल-िलों और ठे कआ से सुपु ू ू िउरा सजाकर जलाशय पर हिया जािा िै। संध्या समय हमट्टी से बने िीए एवं चौबीसो कोसी भरकर ईख एवं लाल-पीले वस्त्रों से चंिवा िानकर िाथी की पूजा करना बड़ा िी सुखि लगिा िै। पुनः ं सिमी को व्रहिन प्राि:काल उहिि नारायण को अर्घयष िेकर सपररवार कल्याण की कामना करिी िैं। िठी मैया क चुनरी-अंकरी(चना) और पीला ससन्िर चढ़ािी िैं ित्पश्चाि व्रि का पारण करिी ै ु ू िैं। यिी एक ऐसा पवष िै , सजसमें हकसी पंहडि की आवश्यकिा निीं िोिी। हकसी मंि और वेिपुराण की आवश्यकिा निीं िोिी। हकसी िरि का भेिभाव, िआिि की भावना दृहष्ट्गोचर निीं ु ू

संपाहिका की कलम से

िोिी । कोई बड़ा या िोटा निीं िोिा। एक समूि में अपार भीड़ एकि िोिी िै। सभी एक-िसरे की

ू मिि करिे िैं। जनकल्याण से जुड़ा यि पवष बिु ि िलिायी िोिा िै। सामासजक सद्भाव का यि अनोखा पवष िै। ३६ घंटे का उपवास करक भी व्रिी ऊजाष से भरपूर िोकर पूजा करिे िैं। सजसक े े मन में जो कामनाएँ िोिी िैं, र्ष्ठी(िठी) मैया पूणष करिी िैं। इसक मनोिर गीि िी सम्पूणष वािावरण े को गुंजायमान कर िेिे िैं । व्रहिन जब गािी िै- “घाट सेइले चार पिर रािी, सेइले चरण िोिार ए िठी मइया, िरसन िीिीं ना अपार ।। डालावा भरी-भरी अरग िेिनी, गंगा पइसी कइनी असनान, िे िठी मइया अरग लीिीं ना िमार ।। रूनुकी-झुनुकी बेटी एक मांगीले, घोड़वा चढ़न क िामाि ए िठी मैया, े िरसन िीिीं ना अपार ।। साभावा बइठन क बेटा एक मांगीले, े गोड़वा लागन क पुिोि, े ए िठी मैया िरसन िीिीं हभनुसार ।। आपना ला मांगीले अवध ससन्िोरवा, युगे-युगे बाढ़ो एिवाि ए िठी मैया िरसन िीिीं ना अपार ।।“ इस गीि को सुनकर मन भावुक िो जािा िै। काहिष क पूहणष मा को गंगा-िट पर स्नान करने वाले एक हिन पिले से िी जुटने लगिे िैं। उसी हिन गुरुनानक जयंिी भी मनायी जािी िै। ०२ अक्टू बर को मिात्मा गाँधी और लालबिािर शास्त्री की जयंिी, १४ नवंबर को बालहिवस मना कर बछचे ु गाँधी-शास्त्री क संिेशों क साथ िी चाचा नेिरू को याि करिे िैं। अब आिा िै हिसंबर जब िम े े ०३ हिसंबर को भारि क प्रथम राष्ट्रपहि, हबिार क मिान सपूि, िेशरत्न डॉ० राजेन्र प्रसाि की े े

िोिी । कोई बड़ा या िोटा निीं िोिा। एक समूि में अपार भीड़ एकि िोिी िै। सभी एक-िसरे की

जयंिी मनािे िैं। उनक पि्-हचह्नों पर चलने का संकल्प भी लेिे िैं क्योंहक आज क नेिाओं ने

े े त्याग को त्याग कर संग्रि को गले लगा सलया िै। रामवृि बेनीपुरी की जयंिी, मालवीय जी की जयंिी, २५ को भारिरत्न अटल हबिारी वाजपेई और ईसा मसीि की जयंिी भी कािी िर्ोल्लास क साथ मनाई जािी िै। इस हिन ईसाई भाई लोग एक-िसरे को शुभकामनाएँ िेिे िैं । इसी क े े ू साथ सभी आं ग्ल नववर्ष की िैयारी में जुट जािे िैं। वर्ष २०२१ हवहवध आपिाओं से युक्त जन-जीवन को िस्ि करिा रिा। सभी भयाक्रांि रिे। हकिने साहित्यकारों का आकस्स्मक हनधन शोक-संिि कर हिया। साहित्य की अमूल्य हनसध का जाना, अपनों का हबिड़ना, हप्रयजनों का हबिोि बिु ि रुलाया। हिर भी िमने िार निीं मानी। िमने सभी समस्याओं का डटकर मुकाबला हकया। अलहविा २०२१ ! आं ग्ल नववर्ष २०२२ की आिट िो चुकी िै। मेरी यिी मंगलकामना िै- आना बाइस खुहशयाँ लाना । सब जन में िुम जोश जगाना ।। गाऊ हमलकर नया िराना । ँ सिा िेश की याि हिलाना ।। िे हगररधर !िुम झट से आना । जन-जन में िुम प्रेम जगाना ।। रोग-शोक को िर भगाना । ू मन से सब पररिाप हमटाना ।। इहि शुभम् !!! ✍️ डॉ० प्रहिभा कु० पराशर (संपाहिका)

जयंिी मनािे िैं। उनक पि्-हचह्नों पर चलने का संकल्प भी लेिे िैं क्योंहक आज क नेिाओं ने

िोिी िै। यि भ्रम इससलए भी िला हक उन्िोंने अपने नाम क

ै े साथ कभी उपनाम निीं लगाया। चूंहक उस िौर से अब िक डॉ० मन्नू राय (ससवान, हबिार) िरम्यान मुम्बई में इनको ‘भईया‘, हबिार में ‘ब्यास जी‘, जुड़ी पारम्पररक हवधाओं यथा चइिा, िालैण्ड, मॉरीशस में ‘बाबा बालेश्वर‘ िथा पूवाांचल में िगुआ, ‘बलेसरा‘ क नाम से जनमानस क हृिय में रच-बस गये थे। े े नारिीय गायन क मिारथी े बालेश्वर राजभर मौजूिगी रिी िै। उस समय सोशल मीहडया जैसे प्लेटिामष निीं थे। लोगों ने इन्िें भी यािव मान सलया। जबहक गायकी क े भोजपुरी लोक संस्कहि से ृ हबरिा, लोकगायन (पूवाांचल) में यािव कलाकारों की जबरिस्ि ऐसे िी गलिििमी में नेिाजी मुलायम ससंि यािव भी थें। का लखनऊ में असखल भारिीय राजभर सम्मेलन िो रिा था, समसामहयक भोजपुरी लोक सजसक मुख्य अहिसथ ित्कालीन मुख्यमंिी मा० मुलायम ससंि े गायकों में हवहशष्ट् स्थान िै। भोजपुरी भार्ा को ऊचाई प्रिान करने में इनका अप्रहिम ँ योगिान रिा िै। हबरिा गायन क िो ये भीष्म हपिामि माने े जािे थे। ये नैसहगष क प्रहिभा क धनी थे िथा गायकी क िौरान े े िी इनमें गाना बनाने की अद्भूि िमिा थी। समाज में व्याि करीहियों, ज्वलंि मुद्दों एवं जीवन-िशष न से जुड़े प्रसंग क े ु मौसलक, अद्भूि िथा आकर्ष क गायन से इन्िें भोजपुरी लोकगायकी क िेि में हवशेर् ख्याहि असजष ि िु ई। े हबरिा सम्राट बालेश्वर राजभर का जन्म ०१ जनवरी १९४२ को उत्तर प्रिेश क मऊ जनपि क बिनपुर गाँव (घाघरा निी े े क हकनारे) में िु आ था। इनक हपिा का नाम िरजन राजभर े े ू िथा मािा का नाम शहनचरी िेवी था। इनकी प्रारंहभक हशिा पैिृक गाँव बिनपुर क प्राथहमक पाठशाला में िु ई लेहकन घर े की आसथष क स्स्थहि जजष र िोने क कारण पढ़ाई बीच में िी िट े ू गयी। अल्पायु में िी इनकी शािी िांगुरी िेवी से िो गयी थी। अपनी घर-गृिस्थी को संभालिे िु ए लोकगायकी को अपने जीवन का अहभन्न हिस्सा बना सलये। लोकगीि गायकी क बािशाि रिे बालेश्वर राजभर को लेकर े लोगों में व्यापक भ्रम िै हक वे यािव थे जबहक वास्िहवकिा यि निीं िै, वे राजभर थे। वैसे कलाकारों की कोई जाहि निीं यािव थे। उस कायष क्रम में बालेश्वर राजभर का हबरिा का प्रोग्राम था। हबरिा गाने क बाि जब स्वयं अपने मुँि से इन्िोंने े किा हक मैं राजभर जाहि से िँ। िब खुि मा० मुलायम ससंि यािव ने अपने सम्बोधन में बालेश्वर राजभर की गायकी का बिु ि प्रशंसा हकये िथा बोले हक मैं भी अभी िक इन्िें यािव िी समझिा था। बाल्यकाल में बालेश्वर राजभर की पाररवाररक स्स्थहि हबल्कल खराब थी। यिाँ िक की उनकी हशिा-िीिा भी निीं ु िो पाई थी लेहकन उन्िें बचपन से िी गाना गाने का बिु ि बड़ा शौक था। इसी कला को उन्िोंने अपने जीवन का उद्देश्य बना सलया और िेखिे िी िेखिे वे भोजपुरी लोकगीि गायक क े सम्राट बन गए। बालेश्वर राजभर वास्िव में लोक कहव थे, िालांहक वे अपना गाना सलखिे निीं, बनािे थे। वे उछचकोहट क लोकगायक थे लेहकन इसका गुमान निीं था। भोजपुरी े समाज उनको पूजिी रिी लेहकन वे अपने को मजिर मानिे ू रिे। कििे थे हक ‘लोग ईट-गारा कऽ मजूरी करेला, िम गाना ं कऽ मजूरी करीलें‘। शायि यिी सच था। यि उनक असधक े पढ़े-सलखे न िोने का िंश था। बालेश्वर राजभर की आवाज में गन्ना क रस का हमठास घुला े था सजसमें अपनी माटी की सोंधी मिक अपनत्व का भाव सलये प्रस्िहटि िोिा था। बालेश्वर राजभर की गायकी-यािा बिु ि ु अक्टू बर-हिसंबर 2021 पद्मनाभ 1

िोिी िै। यि भ्रम इससलए भी िला हक उन्िोंने अपने नाम क



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